कपालभाति प्राणायाम
एक छोटा सा अवलोकन करें : जब कभी आप शांत हों, आनंदित हों, विश्राम में हों, तब अपनी साँस को देखें । आपकी साँस धीमी और गहरी होगी । इसके विपरीत जब आप परेशान, तनावग्रस्त, या क्रोधित हों, तब साँस देखें । साँस तेज़ और उथली होगी । इसका अर्थ है कि साँस का अध्ययन करके हम यह जान सकते हैं कि हमारी ऊर्जा सकारात्मक दिशा में बह रही है या नकारात्मक । इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि साँस की प्रकृति पर ध्यान देकर हम अपनी आंतरिक ऊर्जा को भी रूपांतरित कर सकते हैं । कपालभाति प्राणायाम एक अत्यंत प्रभावशाली विधि है साँस को धीमा और गहरा करने की । इस प्राणायाम में झटके से साँस छोड़नी होती है । ऐसा करने से श्वासतंत्र की नलिकाएँ पूरी खुल जाती हैं और हवा सुगम रूप से बह पाती है । ज़ोर से साँस लेने से नलिकाओं को धक्का लगता है और उनके blockage हट जाते हैं । इससे न केवल श्वसन लयबद्ध होता है बल्कि हवा के लिए अन्दर पर्याप्त स्थान उपलब्ध होता है । फेफड़े ज़्यादा-से- ज़्यादा ऑक्सीजन ले पाते हैं । जिससे साँस धीमी और गहरी हो जाती है । धीमी और गहरी साँस अपने आपमें एक आनंदपूर्ण अनुभव है । कपालभाटी करते समय आपको यह आनंद महसूस होता है । एक सूक्ष्म आनंद । जैसे कोई हल्का मीठा संगीत । जैसे शीतल हवा का झोंका । लेकिन जैसे हल्का संगीत और शीतल हवा को जीने के लिए शांत और सचेत होना पड़ता है, वैसे ही साँस के आनंद को जीने के लिए ध्यानपूर्ण होना ज़रूरी है । नहीं तो प्राणायाम एक शारीरिक व्यायाम बनकर रह जाता है । ध्यानपूर्ण होने से आप जान पाते हैं कि खुलकर जीना क्या होता है । साँस ही जीवन है । यदि खुलकर साँस ले पाएं तो खुलकर जीना आ जाता है । जब फेफड़े ताज़ी हवा से पूरे भरते हैं तो एक असीम जीवंतता महसूस होती है । कपालभाति प्राणायाम ख़ाली पेट करना चाहिए । सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है इसके लिए । पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएँ । आँखें बंद । ज़ोर से साँस छोड़ें । ऐसा करते समय शरीर ज़्यादा न हिलाएँ । केवल पेट के आसपास के हिस्से पर ही ज़ोर लगे । ध्यान साँस छोड़ने पर ही लगाएँ । हर एक बार साँस छोड़ने के बाद शरीर स्वयं हल्की सी साँस ले लेगा । बहुत जल्दी-जल्दी साँस न लें, 1 या 1 1/2 सेकंड में एक बार । यह प्राणायाम 5-7 मिनिट करें । हर ½ या 1 मिनिट बाद रुककर साँस को देखें । आपको इसमें स्पष्ट अंतर दिखाई देगा । साँस बड़ी शांत होगी । धीरे-धीरे बहती हुई । और अंतस में एक मिठास भी घुलने लगेगी । इस मिठास में आपकी चिंताएँ, तनाव, विषाद, क्रोध, इत्यादि भी घुलने लगेगा । एक बार यदि यह महसूस हो जाए कि उन मानसिक विकारों से लड़ना नहीं है, उनसे भागना नहीं है, बस साँस गहरी हुई और सारी नकारात्मकता ग़ायब । कपालभाति प्राणायाम आपकी आंतरिक ऊर्जा प्रबंधन यानि inner energy management में बहुत प्रभावी हो सकता है । यही प्रबंधन एक सुखी और स्वस्थ जीवन की कुंजी है । जिसके पास यह कुंजी है उसे कोई कभी दुखी नहीं कर सकता ।